जीवन
की पगडंडियों पर यूँही चलता रहा मैं …!
मंज़िल
के पास मंज़िल में ही खोता रहा मैं,
क्यूंकि
स्वप्न ही स्वप्न में जीता रहा मैं …!!
दुःख
से भरा था गगन मेरे जीवन में ,
नहीं
पा सका पूर्ण इच्छा को कभी मैं...!
फिर
भी रुका ना मैं ,पाने की इच्छा में ,
होती
कैसे पूरी इच्छा , यही तो थी जीवन की परीक्षा…!!
जानकर
भी, कितना अनजान था जीवन में मैं,
फिर
भी, जीवन की पगडंडियों पर यूँही चलता रहा मैं …!
खींच
रही थी मंज़िल मुझको अपनी ओर,
न
जाने मन भटका था मेरा किस छोर...!!
हर
घड़ी जीवन का अनवरत प्रयास जारी था ,
अब
खुद से खुद की लड़ाई का बारी था....!
शील,ध्यान,ज्ञान,प्रज्ञा
को है अब पाना,
खुद
की लड़ाई में खुद को है अब जीत जाना....!!
साध
लिया है ज्ञान को , जान लिया है कलाम को,
चलता
गया मैं अब कदम दर कदम....!
न
थका कभी, न हारा कभी, न रुका कभी ,
हर
तरफ ज्ञान बांटता चला हूँ मैं अभी.....!!
"अब्दुल कलाम आज़ाद "
Great lines Abdul Kalam ji is Inspiration of ours such a nice lines and shero shayari..
ReplyDeleteJab Khamosh Aankho Se Baat Hoti Hai.
ReplyDeleteAise Hi Mohabbat Ki Shurwat Hoti Hai.
Tumhare Hi Khyalo Mein Khoye Rehte Hai.
Pata Nahi Kab Din Kab Raat Hoti Hai.
love for girlfriend
Latest Collection Of Shayaries Love Shayari In Hindi
ReplyDeleteRead Online PDF
ReplyDeleteBooks Digests Magazines and Novels, Education Books Etc.
Read Online Books
Read Online Novels
Read Online Digest