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Na thaka na haara kabhi na ruka kabhi main by Abdul kalam

न थका, न हारा , न रुका कभी मैं ,
जीवन की पगडंडियों पर यूँही चलता रहा मैं …!
मंज़िल के पास मंज़िल में ही खोता रहा मैं,
क्यूंकि स्वप्न ही स्वप्न में जीता रहा मैं …!!

दुःख से भरा था गगन मेरे जीवन में ,
नहीं पा सका पूर्ण इच्छा को कभी मैं...!
फिर भी रुका ना मैं ,पाने की इच्छा में ,
होती कैसे पूरी इच्छा , यही तो थी जीवन की परीक्षा…!!

जानकर भी, कितना अनजान था जीवन में मैं,
फिर भी, जीवन की पगडंडियों पर यूँही चलता रहा मैं …!
खींच रही थी मंज़िल मुझको अपनी ओर,
न जाने मन भटका था मेरा किस छोर...!!

हर घड़ी जीवन का अनवरत प्रयास जारी था ,
अब खुद से खुद की लड़ाई का बारी था....!
शील,ध्यान,ज्ञान,प्रज्ञा को है अब पाना,
खुद की लड़ाई में खुद को है अब जीत जाना....!!

साध लिया है ज्ञान को , जान लिया है कलाम को,
चलता गया मैं अब कदम दर कदम....!
न थका कभी, न हारा  कभी, न रुका कभी ,
हर तरफ ज्ञान बांटता चला हूँ मैं अभी.....!!  



                            "अब्दुल कलाम आज़ाद "

Man bekal hai tera tan bekal hai mera By Abdul kalam

मन बेकल है तेरा
तन बेकल है मेरा
            कर दे पूरी आस मेरी
            बाकी रहे ना प्यास तेरी
ये जीवन तेरा
हर लम्हा मेरा
            देखूं तेरी आँखों में
            तेरी हर ख़्वाहिश मेरी
किया बेकल मन को मेरे
रहे उम्मीद बस तन को तेरे
            तू आग भी
            तू शबनम भी
रहे ना ज़िन्दगी में
अब कोई गम भी
            देख कर तुझको भर जाए मन
            ऐसी तू प्यास है तर जाये तन 
करता हर लम्हा इंतज़ार तेरा
बनकर तू ईद का चाँद
            कभी तू नज़र आ जाये
            तो कभी तू बादलो में गम हो जाये
बेकरार है प्यास मेरी
बनकर तू शबनम
            बुझा जा प्यास मेरी




                                        "अब्दुल कलाम आज़ाद "

Gumnaam hai koi badnaam hai koi By Abdul kalam

गुमनाम है कोई
बदनाम है कोई
अविरल धारा है कोई
बहती नदी का तारा है कोई
खेले थे हम मिल बचपन में 
साथी है हर राह में कोई
निडर और वीर है कोई
अनजाने राहों में गुमनाम है कोई
हर मोड़ पे खड़ा है मेरा कोई
मुश्किलों में देता साथ है कोई
लेता पंगा मेरे खातिर
प्यार के लिए आतुर है कोई
फिर भी इस जग में मेरा
अनजान है कोई
बहती धारा के साथ
गुमनाम है कोई 
लड़ता रहा है सच के लिए
फिर भी सलाखों में है कोई
मौत को बना धार
सबके लबों पे है कोई
मेरे रग रग में ,रमा है कोई
माफ़ करना करुणेन्द्र
जो गलती हुई हो हमसे
तेरे एहसास को , हम भुला न सकेंगे
तेरी अदाओं को , हम बदनाम कर  ना सकेंगे
ज़िन्दगी मिली थी तेरे सहारे ही
तुझे अपने जीवन में ,
गुमनाम कर न सकेंगे। .............





                                         "अब्दुल कलाम आज़ाद "

Kabhi tera ithalana to kabhi tera ruth jana by Abdul kalam Azad

कभी तेरा इठलाना तो
कभी तेरा रूठ जाना
                 कभी हंसी लबों पे ठहरना
                 तो कभी लट आँखों पे गिरना
देख तेरी चंचलता
तू मन को भाती है
                 यही अदा तेरी
                 मुझे अक्सर याद आती है
ना दिन को चैन
ना रात को नींद आती है
                हर ख्वाब में
                ख्वाब बनकर तू आती है
करती अठखेलियां
तू मन को भाती है
                तेरे होठो का एहसास
                हर साँस कराती है
लेकर बाँहो में तुझे
जीवन खास हो जाती है
                यही अदा तेरी
                मुझे अक्सर याद आती है। .......


                                         " अब्दुल कलाम आज़ाद "

Sach ke liye lado mat saathi By Dr. Kumar Vishwas

"सच के लिए लड़ो मत साथी
भारी पड़ता है..................!
जीवन भर जो लड़ा अकेला,
बाहर-अन्दर का दुःख झेला,
पग-पग पर कर्त्तव्य-समर में,
जो प्राणों की बाज़ी खेला,
ऐसे सनकी कोतवाल को,चोर डपटता है.....!
सच के लिए लड़ो मत साथी,भारी पड़ता है...!
किरणों को दागी बतलाना,
या दर्पण से आँख चुराना,
कीचड में धंस कर औरों को,
गंगा जी की राह बताना,
इस सब से ही अन्धकार का,सूरज चढ़ता है...!
सच के लिए लड़ो मत साथी,भारी पड़ता है.....!"







         Written by 
              Dr. Kumar Vishwas

Himmat ye raushani badhh jaati hai by Dr. Kumar Vishwas

हिम्मत ए रौशनी बढ़ जाती है 
हम चिरागों की इन हवाओं से 
कोई तो जा के बता दे उस को 
चैन बढता है बद्दुआओं से..!






          Written by 
                Dr. Kumar vishwas

Ajab hai kayda duniyaa ye ishak by Dr. Kumar Vishwas

अजब है कायदा दुनिया ए इश्क का मौला,
फूल मुरझाये तब उस पर निखार आता है,
अजीब बात है तबियत ख़राब है जब से, 
मुझ को तुम पे कुछ ज्यादा प्यार आता है …!







         Written by 
                      Dr. kumar Vishwas

Sab Apne dil ke raaja hai by Dr. Kumar Vishwas

सब अपने दिल के राजा हैं सबकी कोई रानी है
कभी प्रकाशित हो न हो पर सबकी एक कहानी है
बहुत सरल है पता लगाना किसने कितना दर्द सहा 
जिसकी जितनी आँख हँसे हैं उतनी पीर पुरानी है.


             Written by 
                 Dr. Kumar Vishwas

Milen har jakhm ko muskan se by Dr. Kumar Vishwas

मिले हर जख़्म को, मुस्कान से सीना नहीं आया 
अमरता चाहते थे, पर गरल पीना नहीं आया 
तुम्हारी और मेरी दास्तां में फ़र्क़ इतना है 
मुझे मरना नहीं आया, तुम्हें जीना नहीं आया





        Written by 
           Dr. Kumar Vishwas

har ek nadiyaan ke hothon par by Dr. Kumar Vishwas

हर इक नदिया के होंठों पर समंदर का तराना है 
यहाँ फरहाद के आगे सदा कोई बहाना है 
वही बातें पुरानी थीं, वही किस्सा पुराना है 
तुम्हारे और मेरे बीच में फिर से ज़माना है 






           Written by
              Dr. Kumar Vishwash

Tumhaare paas hun lekin jo doori hai by Dr. Kumar Vishwas

तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है, समझता हूँ 
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है, समझता हूँ
तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन 
तुम्हीं को भूलना सबसे जरूरी है, समझता हूँ 






           Written by 
                                    Dr. Kumar Vishwas

Wo jo khud se kam nikalte hain by Dr. Kumar Vishwas

वो जो खुद में से कम निकलतें हैं ,
उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं .
आप में कौन-कौन रहता है ?
हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं...






                  Written by 
                     Dr. Kumar vishwash

Wo nazare jo kabhi shauk e tamanna the by Dr. Kumar Vishwas

वो नज़ारे जो कभी शौक ए तम्मना थे मुझे,
कर दिए एक नज़र मे ही पराये उस ने ,
रंगे-दुनिया भी बस अब स्याह और सफ़ेद लगे,
मेरी दुनिया से यूँ कुछ रँग चुराए उस ने …..!




         Written by 
                          Dr. Kumar Vishwas 

Nazar me shokhiyaan lab par mohbbat by Dr. Kumar Vishwas

नज़र में शोखि़याँ लब पर मुहब्बत का तराना है
मेरी उम्मीद की जद में अभी सारा जमाना है
कई जीतें हैं दिल के देश पर मालूम है मुझको
सिकंदर हूँ मुझे इक रोज़ ख़ाली हाथ जाना है 




        Written by
                          Dr. Kumar Vishwas

Har baat niraali thi by Abdul kalam azad

हर बात निराली थी,
मोहब्बत के साथ हर रात निराली थी। .!!
तन्हा थे जीवन में ,
खुशियों की हर ताक निराली थी..!!



            Submitted by
                      "Abdul kalam Azad "

jisne Hum ko Chaha use ham chaah na sake from Film Dil ka khel


jisne Hum ko Chaha use ham chaah na sake..
jiis ko hum ne chaha use ham pa na sake..

ye soch lo kii diil tutne ka khel hai..
kisi ka toda aur apna bacha na sake..!!

tere dil me meri sanso ko panah mil jaye from Film Fanna


tere dil me meri sanso ko panah mil jaye..
tere ishq me meri jan fannah ho jaye..!!!