आओ तुम्हें  प्यार करना सिखा दूँ,
अपने लबों को लबों पे सजा दूँ.

करो ग़म न कोई न बैठो परेशां,
मानोगी तुम गर तुम्हे फिर हंसा दूँ.

छुपाती हो दिल की उल्फत मुझी से,
कर दो बयां कहो मैं सुना दूँ.

कभी आ के बैठो पहलू  में मेरे,
दौलत मोहब्बत की तुम पर लुटा दूँ.

 
     Submitted by-निषेध कुमार कटियार "'हलीम"
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