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Wo nazare jo kabhi shauk e tamanna the by Dr. Kumar Vishwas

वो नज़ारे जो कभी शौक ए तम्मना थे मुझे,
कर दिए एक नज़र मे ही पराये उस ने ,
रंगे-दुनिया भी बस अब स्याह और सफ़ेद लगे,
मेरी दुनिया से यूँ कुछ रँग चुराए उस ने …..!




         Written by 
                          Dr. Kumar Vishwas 

Nazar me shokhiyaan lab par mohbbat by Dr. Kumar Vishwas

नज़र में शोखि़याँ लब पर मुहब्बत का तराना है
मेरी उम्मीद की जद में अभी सारा जमाना है
कई जीतें हैं दिल के देश पर मालूम है मुझको
सिकंदर हूँ मुझे इक रोज़ ख़ाली हाथ जाना है 




        Written by
                          Dr. Kumar Vishwas

Kya likhu kabhi bhi... By Abdul kalam Azad


क्या लिखूं कभी भी ,

किसी भी वक्त ये बात मेरे समझ में नहीं आती
वरन कल्पनाओ का सैलाब यूँही दिलो में उमड़ता रहता है.
विचार यूँही दिलों में तैरती रहती है . 

उन कल्पनाओ और विचारो को मूर्त रूप देने के लिए,
मेरे पास शब्दों की कोई कमी नहीं महसूस होती है,
फिर भी ना जाने ये दिल क्या चाहता है कि मै क्या लिखूं ,
लिखने को तो मै विचारो के अथाह समुद्र में भी उतर सकता हू,
और उस समुद्र से मोतियों जैसी कल्पनाओ कि संसार रच सकता हूँ ,
फिर भी ये दिल ना जाने क्या ढूंढता है,
मुझे खुद भी ये महसूस नहीं होता है कि,
लेखन के लिए विचारो कि, कल्पनाओ की,
प्रमाणिकता की , तथ्यों की , रचनाओ की ,
रसिकता की और भी बहुत सारे चीजो की,
जो कि एक सुन्दर लेखन के लिए आवश्यक है,
वह सब कुछ मेरे दिलों दिमाग के गहराइयों में हर वक्त
उमड़ता रहता है.

फिर भी ना जाने आखिर दिल क्या लिखना चाहता है,
और इसी कशमकश में दिल बेचैन होते जा रहा है .
आज वर्षो बाद ना जाने दिल में क्या महसूस हुआ कि,

मै लिखने बैठा और अभी भी दिल बेचैन है कि क्या लिखूं .........!!!!!!!!!



                                      Submitted by 
                                                "Abdul kalam Azad"

Har baat niraali thi by Abdul kalam azad

हर बात निराली थी,
मोहब्बत के साथ हर रात निराली थी। .!!
तन्हा थे जीवन में ,
खुशियों की हर ताक निराली थी..!!



            Submitted by
                      "Abdul kalam Azad "

baithe hai hotho ko si kar by devendra singh rathore

baithe hai hotho ko si kar..
pachhtayengi ap..

ishq jaag uthta hai aksar..
aisi khamosi ke baad..!!



             Submitted by
                     Devendra singh Rathore

Khul k rone de aaj by Supriya Sood

Khul k rone de aaj
In aankho mai aaj bhi ashk baaki hai..


Naseeb ki baate hai sab
Koi zindagi ji raha hai aur kisi ki ek sham hi baaki hai.............







             Submitted by
                  Supriya Sood